बतकही

बातें कही-अनकही…

कथेतर

‘सुबह के अग्रदूत’— एक

पल्लवी रावत हम सबने कभी न कभी अल-सुबह या ब्रह्म-मुहूर्त में सूरज के निकलने की दिशा में उसके ठीक आगे-आगे आते हुए उस चमकते तारे को अवश्य देखा होगा, जो सूरज के आसमान में उदीयमान होने के ठीक पहले उसी स्थान से ऊपर उठता है, जहाँ से सूरज को आना है | वह लोगों को सूरज के आने और सुबह होने की सूचना देता है | ...जब घड़ियाँ नहीं होती थीं, तब लोग उसे ही…

कथेतर

‘गाइड’ प्रदीप रावत

एक अध्यापक जो अपने विद्यार्थियों के लिए ‘गाइड’ है भाग-एक ‘मैं अध्यापक नहीं, अपने विद्यार्थियों के लिए केवल एक ‘गाइड’ हूँ...’ ‘गाइड’...! यह ‘गाइड’ नामक जीव क्या होता है? यह कोई मनुष्य होता है या कोई दूसरा जीव-अजीव? अथवा क्या ‘गाइड’ केवल कोई व्यक्ति ही होता है या मनुष्य से इतर कोई और भी यह भूमिका निभा सकता है या निभाता हुआ मिलता है? कोई गाइड क्या काम करता है या उसका क्या काम होता…

कथेतर

अंजलि डुडेजा

विद्यालय, बच्चे और खामोश कोशिश भाग-एक मौन अभिव्यंजना की प्रतिकृति अज्ञेय ने अपनी एक बेहद प्रसिद्द एवं सुन्दर कविता में लिखा है—— “मौन भी अभिव्यंजना है: जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो | ...उसे जानो: उसे पकड़ो मत, उसी के हो लो | ...दे सकते हैं वही जो चुप, झुककर ले लेते हैं | आकांक्षा इतनी है, साधना भी लाए हो? ...यही कहा पर्वत ने, यही घन-वन ने ...तब कहता है फूल: अरे, तुम…

कथेतर

संदीप रावत

भाषा के माध्यम से शिक्षा की उपासना में संलग्न एक अध्यापक भाग-एक:- भाषा से शिक्षा की जुगलबंदी एवं शिक्षा के उद्देश्य लगभग डेढ़ सदी पहले ‘आधुनिक हिन्दी साहित्य’ के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने लिखा था—— निज-भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिनु निज-भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल | अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज-भाषा ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ||       (भारतेंदु हरिश्चंद्र) ...तो कुछ इसी सिद्धांत…

error: Content is protected !!