बतकही

बातें कही-अनकही…

कथेतर

‘गाइड’ प्रदीप रावत : एक अध्यापक जो अपने विद्यार्थियों के लिए ‘गाइड’ है

भाग-दो : हमें खेलते हुए पढ़ना पसंद है...! पढ़ने-पढ़ाने के कई तरीक़े हो सकते हैं— एक तरीक़ा तो यह हो सकता है, जिसे अक्सर विद्यालयों में अपनाया भी जाता है कि कक्षा में आकर बच्चों की पुस्तकों के माध्यम से उनको पढ़ाने की कोशिश की जाए और बच्चे अपने अध्यापकों द्वारा बोर्ड पर लिखे गए शब्दों को अपनी कॉपियों में लिखते जाएँ, पुस्तकों में लिखे हुए को पढ़ने एवं अपनी कॉपी में छाप देने, अर्थात्…

कथेतर

आशीष नेगी : कला के मार्ग से शिक्षा के पथ की ओर

भाग-चार - आशीष के ‘दगड़्या’ : बच्चों का, बच्चों के लिए, बच्चों द्वारा क्या कोई ऐसा ऐसा संगठन या संस्था हो सकती है, जो न केवल बच्चों के लिए हो, बल्कि वह बच्चों की भी हो और उसका संचालन भी प्रमुख रूप से बच्चे ही करते हों...? सरकारी स्कूलों में हालाँकि ‘बाल-सभाएँ’ होती हैं, लेकिन यह पता नहीं कि वह कितनी कारगर है और क्या-क्या काम कितने प्रभावशाली ढंग से करती है? उनमें बच्चों की…

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सम्पूर्णानन्द जुयाल : वंचित वर्गों के लिए अपना जीवन समर्पित करता एक अध्यापक

भाग-चार : बंजारे बच्चों को उनकी मंजिल की ओर ले जाने की कोशिश कहते हैं कि प्रत्येक बच्चे में कुछ ऐसी विशेषताएँ अवश्य होती हैं, जिनको यदि समय रहते पहचानकर उसका परिष्कार किया जाए, तो उन विशेषताओं से संपन्न होकर वह बच्चा अपने आप में एक विशिष्ट व्यक्ति या नागरिक बनता है, उसका लाभ समाज और देश को मिलता है | लेकिन यदि उसकी ख़ूबियों को जानते हुए भी उसको अवसर न दिया जाए, तो…

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संगीता कोठियाल फरासी : भीख माँगते बच्चों को अक्षरों की दुनिया में ले जाती एक शिक्षिका

भाग-चार : होटल में धुमंतू बच्चे और बारिश में भीगता समर्थ-समाज ‘बारिश में भीगना किसे अच्छा नहीं लगता है’? यदि यह सवाल किसी से पूछा जाए, तो जवाब मिलेगा कि हर व्यक्ति सुहानी बारिश में भीगना चाहता है, बच्चे हों या जवान अथवा बूढ़े; बस मौक़ा मिलने भर की देर है ! क्या जीव-जंतु और क्या पशु-पक्षी, सभी को उमस और गर्मी से राहत के लिए बारिश में भीगना पसंद है, आनंदित होने के लिए…

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