सुभाष चन्द्र : जिसके लिए उसके विद्यार्थी अपनी संतान से भी अधिक प्रिय हैं
भाग-दो : ‘कार्य’ जो अपनी अनिवार्य शिक्षकीय ज़िम्मेदारी है पिछले लेख में यह देखा जा चुका है कि किस प्रकार जब राजकीय प्राथमिक विद्यालय, किमोली के दोनों अध्यापकों (सुभाष चंद्र और प्रमोद कुमार) ने परस्पर सहमति से यह तय किया कि वे अपनी निजी कोशिशों से विद्यालय और बच्चों की शिक्षा को एक नया मुक़ाम देंगे, तब इस विद्यालय की ‘शैक्षणिक-यात्रा’ शुरू होती है... यह भी देख चुके हैं कि अपने विद्यालय में सुभाष चंद्र…