बतकही

बातें कही-अनकही…

शोध/समीक्षा

विश्व पुस्तक मेला 2023

खंड-तीन : पुस्तक मेले में ‘मोदी-वंदना’ के निहितार्थ जैसाकि पुस्तक-मेले से संबंधित पिछले लेखों से आभास मिल रहा है कि 2023 का विश्व पुस्तक मेला (दिल्ली) एक ‘ख़ास प्रभाव’ से आच्छादित रहा, तो स्वाभाविक है कि उस ‘ख़ास प्रभाव’ का असर चारों ओर दिखाई देना ही था | उसी में शामिल है वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यहाँ विविध प्रकार से जबरन ख़ूब अधिक हाईलाइट किया जाना; जिस प्रकार से मौक़े-बेमौक़े पूरे देश में ‘मोदीनामा’…

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विश्व पुस्तक मेला 2023

खंड-दो : पुस्तक मेले पर सनातनी-कब्ज़े की कोशिश पहले खंड से आगे... इस साल के विश्व पुस्तक मेले में मेरा दो दिन जाना हुआ, 3 मार्च और 5 मार्च को | इन दो दिनों के दौरान मैंने पुस्तक मेले के मिजाज़ को भी समझने की यथासंभव कोशिश की | वह ख़ास मिजाज़ था, लगभग सम्पूर्ण पुस्तक मेले को अपने प्रभाव और ताक़त से आच्छादित करता हुआ सनातनी-प्रभाव, जो उसके हर हिस्से को कम या अधिक…

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विश्व पुस्तक मेला 2023

खंड-एक : नए रूप-रंग में विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में इस बार तीन सालों के बाद विश्व पुस्तक मेले का आयोजन हुआ, जो 25 फरवरी से 5 मार्च तक, यानी कुल 9 दिनों तक चला | 2020 के बाद दो सालों तक यह मेला आभासी (वर्चुअल) रूप से आयोजित हुआ था और अब इस साल यह अपने पुराने रूप में लौटा था | लेकिन अपनी पिछली पुस्तकीय संस्कृति और परम्पराओं से अलग, इस बार यह…

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