बतकही

बातें कही-अनकही…

निबंध

‘अप्प दीपो भव’ : नए तेवर के साथ 21वीं सदी का वंचित-समाज

जब 1848 ई. में फुले-दंपत्ति (ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले) ने लड़कियों (3 जनवरी 1848, भिंडेवाड़ा) और दलितों (15 मई 1848, महारवाड़ा) के लिए पहले आधुनिक-विद्यालय की शुरुआत करते हुए महिला-आन्दोलन और दलित-आन्दोलन की नींव डाली और उनके केवल कुछ ही दशक बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इन आंदोलनों को नई धार देकर बहुमुखी और बहुस्तरीय बना दिया; तो उसके बाद समाज में एक ऐसी आँधी चलनी शुरू हो गई, जिसमें सारा ब्राह्मणवाद, पुरुषवाद, पितृसत्ता…

शोध/समीक्षा

1857 का विद्रोह : ‘रोटी’ और ‘कमल’ ही सन्देशवाहक क्यों बने?

1857 के विद्रोह को ज्योतिबा फुले ‘चपाती विद्रोह’ कहते हैं, सवाल है कि क्यों? दरअसल ब्राह्मणों ने अपने गुप्त संदेश गाँव-गाँव पहुँचाने के लिए कमल के फ़ूल के साथ-साथ चपाती/रोटी का प्रयोग किया था | उस ‘चपाती विद्रोह’ के प्रमुखतम सूत्रधार छुपे रूप में ब्राह्मण पेशवा नाना साहेब के नेतृत्व में समस्त ब्राह्मण ही थे1, जिन्होंने मुगलों के कंधों पर रखकर बंदूक चलाई थी— मौक़ा पाते ही “मराठा सरदार (मराठा नहीं, बल्कि मराठों के प्रधानमंत्री,…

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