बतकही

बातें कही-अनकही…

कविता

कैंडल मार्च – 4

कौन करेगा कैंडल मार्च...? क्या कहा, भाई...? इन लड़कियों का कोई रक्षक नहीं...? कोई सहायक नहीं...? ...शायद तुम ठीक कहते हो.... वे समाज के हाशिए पर फेंके गए ‘कूड़ा-समाज’ में पैदा हुई थीं... समाज के कूड़े की ‘कूड़ा बेटियाँ’... बदनसीब बेटियाँ... यतीम बेटियाँ... अकेली... असहाय... अरक्षित... जिनका नहीं कोई रक्षक ...!!! नहीं कोई सहायक...!!! कौन निकाले जुलूस...? कौन करे कैंडल मार्च...? क्योंकि उनके भाइयों, पिताओं, पुरुषों के पास समय नहीं है, कि उनकी उन खुली…

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