बतकही

बातें कही-अनकही…

आलोचना

शिक्षा का अधिकार, वंचित वर्ग और पास-फेल का खेल

ज़रा हम अपने आस-पास नज़र दौड़ाएं... लोगों को बातें करते हुए ज़रा ध्यान से सुनें... उनकी प्रतिक्रियाएँ देखें, ...उनके आग्रह को ज़रा ग़ौर से देखें और समझने की कोशिश करें... क्या उनकी कटूक्तियों में, उनकी घृणा, उनके क्रोध में कुछ विशिष्टता नज़र आती है, ...जब वे समाज के वंचित एवं कमज़ोर वर्गों की शिक्षा के सम्बन्ध में बातें कर रहे होते हैं...? क्या आपने भी ऐसी उक्तियाँ कभी-कभी उनके मुखों से सुनी हैं, जो उनके…

कथेतर

मनोहर चमोली ‘मनु’

‘बाल-साहित्य’ के माध्यम से समाज की ओर यात्रा... भाग-एक :- ‘मनोहर चमोली’ होने का अर्थ... सफ़दर हाशमी ने कभी बच्चों को सपनों और कल्पनाओं की दुनिया में ले जाने की कोशिश में उन्हें संबोधित करते हुए लिखा था— “किताबें कुछ कहना चाहती हैं।तुम्हारे पास रहना चाहती हैं॥ किताबों में चिड़िया चहचहाती हैंकिताबों में खेतियाँ लहलहाती हैंकिताबों में झरने गुनगुनाते हैंपरियों के किस्से सुनाते हैं किताबों में राकेट का राज़ हैकिताबों में साइंस की आवाज़ हैकिताबों…

कथेतर

आशीष नेगी

कला के मार्ग से शिक्षा के पथ की ओर भाग-एक सर्जक और सर्जना क्या नाटक, थिएटर, पेंटिंग, आर्ट एवं क्राफ्ट के माध्यम से उन बच्चों में आत्म-विश्वास, आत्म-सम्मान, जैसी भावनाएँ विकसित की जा सकती हैं, जिनके इन स्वाभाविक मानवीय विशेषताओं (यानी आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान) को उनके जन्म से पूर्व ही कुचला जा चुका है, उनके अभिभावकों के दमन के माध्यम से, जिनका सम्बन्ध समाज के बेहद कमज़ोर एवं दबे-कुचले तबके से है...? इसी के समानांतर…

कथेतर

संगीता कोठियाल फ़रासी

भीख माँगते बच्चों को अक्षरों की दुनिया में ले जाती एक शिक्षिका भाग-एक : कहते हैं, कि यदि किसी इंजीनियर या डॉक्टर अथवा किसी भी पेशे का काम समाज के भौतिक, आर्थिक, प्रशासनिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तो किसी भी समाज या देश की वैचारिक-मनोभूमि को गढ़ने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका उसके शिक्षक-समाज की होती है | इसका अर्थ यह कदापि नहीं है, कि अन्य कार्य ग़ैर-महत्वपूर्ण या गौण हैं, लेकिन जब…

कथा

कटोरे की दुनिया से अक्षरों की दुनिया की ओर…

“साहेब, साहेब, कुछ खाने को दे दो, बहुत भूख लगी है ...मेरी बहन बहुत भूखी है ...|” एक बेचारे-से दिखने वाले लगभग 7-8 वर्षीय बच्चे ने, सड़क किनारे खड़े ठेले पर छोले-भटूरे का आनंद लेते दंपत्ति की ओर देखकर दयनीय-याचक स्वर में कहा |“भागो यहाँ से... इन भिखारियों ने तो जीना हराम कर रखा है, इनके मारे तो कोई सड़क पर कुछ खा भी नहीं सकता ...जाओ यहाँ से, वर्ना खींच कर दो कान के…

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