बतकही

बातें कही-अनकही…

कथेतर

विनय शाह : लोकतान्त्रिक प्रयोगों का अध्यापक

भाग-दो :- कक्षा में बैठने की व्यवस्था भी लोकतान्त्रिक हो विद्यालय वह स्थान है, जहाँ ज्ञान की न तो कोई सीमा होती है, न कोई दायरा; वहाँ न सीखने के लिए कोई भी चीज बेकार समझकर नज़रंदाज़ की जा सकती है, न की जानी चाहिए | और इसलिए जिन अध्यापकों ने यह तय कर लिया हो कि उनका एक ही लक्ष्य है— समाज को सहिष्णु बनाते हुए उसके भीतर सह-अस्तित्व की भावना को उन सभी…

कथेतर

संदीप रावत : भाषा के माध्यम से शिक्षा की उपासना में संलग्न एक अध्यापक

भाग-दो :-  बच्चे, भाषा और शिक्षा एक समृद्ध एवं सक्षम भाषा किसी व्यक्ति, समाज एवं देश के जीवन में क्यों आवश्यक है? साथ ही, अपनी भाषा को समय के साथ निरंतर समृद्ध एवं सक्षम बनाते चलना भी क्यों आवश्यक है? इन प्रश्नों का उत्तर इस तथ्य में छिपा है कि कोई भाषा किसी व्यक्ति, परिवार, समाज और देश के जीवन में क्या भूमिका निभा सकती है या निभाती है? इसे समझना हो तो भाषाओँ के…

कथेतर

आशीष नेगी : कला के मार्ग से शिक्षा के पथ की ओर

भाग-चार - आशीष के ‘दगड़्या’ : बच्चों का, बच्चों के लिए, बच्चों द्वारा क्या कोई ऐसा ऐसा संगठन या संस्था हो सकती है, जो न केवल बच्चों के लिए हो, बल्कि वह बच्चों की भी हो और उसका संचालन भी प्रमुख रूप से बच्चे ही करते हों...? सरकारी स्कूलों में हालाँकि ‘बाल-सभाएँ’ होती हैं, लेकिन यह पता नहीं कि वह कितनी कारगर है और क्या-क्या काम कितने प्रभावशाली ढंग से करती है? उनमें बच्चों की…

कथेतर

‘सुबह के अग्रदूत’— दो

भूमिका बडोला ...जब हमारे चारों ओर निराशमय वातावरण हो, नकारात्मक शक्तियाँ अपने चरम पर हों, राजनीतिक-परिदृश्य निराशा उत्पन्न कर रहा हो, सामाजिक-सांस्कृतिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हों, लोगों के विचारों एवं बौद्धिक-चिंतन में लगातार कलुषता भरती चली जा रही हो और एक-दूसरे के प्रति वैमनस्यता तेज़ी से अपने पाँव पसार रही हो... तब ऐसे में जब युवा हो रही पीढ़ी के बीच से कुछ ऐसे लोग निकलकर सामने आने लगें, जो अंगद…

कथेतर

आशीष नेगी

कला के मार्ग से शिक्षा के पथ की ओर भाग-तीन :— रंगमंच, बच्चे और सपनों की दुनिया क्या आपने कभी अपने आस-पास एक अध्यापक को अपने कन्धों पर एक भारी थैला लटकाए उत्तराखंड की काँटों एवं कीड़े-मकोड़ों से भरी पथरीली-सर्पीली राहों में पगडंडियों के सहारे पहाड़ों की ऊँचाइयों को नापते या घाटियों की गहराई में उतरते देखा है? आपका कभी ध्यान जाय, तो देखिएगा अवश्य, आपके आसपास ही कहीं एक आशीष नेगी नाम का अध्यापक…

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