बतकही

बातें कही-अनकही…

कथेतर

विनीता देवरानी : जिसकी नज़र में प्रत्येक विद्यार्थी ख़ास है !

भाग-दो : सब साथ चलें, तो मंज़िलें आसान हों ! किसी भी कार्य-स्थल पर कार्य की सफ़लता और उस सफ़लता की मात्रा एवं गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि वहाँ कार्यरत लोगों के परस्पर संबंध कैसे हैं— उनमें प्रतिद्वंद्विता, ईर्ष्या, एक-दूसरे को नीचा दिखाने एवं हानि पहुँचाने जैसी प्रवृत्तियाँ हैं; अथवा उनमें परस्पर सहयोग, सह-अस्तित्व की स्वीकार्यता, एक-दूसरे की मदद से आगे बढ़ना और बढ़ाना जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ हैं ! दोनों ही परिस्थितियों…

कथेतर

सुभाष चंद्र : जिसके लिए उसके विद्यार्थी अपनी संतान से भी अधिक प्रिय हैं

भाग-एक :- विद्यार्थी जिसकी प्रथम ज़िम्मेदारी हैं भारतीय शिक्षा-प्रणाली की स्थिति यह है कि यहाँ बहुलांश में सरकारी विद्यालयों के शिक्षक किसी भी अन्य सरकारी विभाग की तरह अपने पेशे को अच्छे-ख़ासे वेतन के रूप में मोटी आय का ज़रिया-भर मानते हैं | लेकिन उस पद से संबंधित ज़िम्मेदारियाँ और कार्य करने की जब बात हो तो ये उसे पसंद नहीं करते | कारण...? भारतीय समाज के इस हिस्से को पीढ़ियों से काम करने की…

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