बतकही

बातें कही-अनकही…

कविता

कस्तूरबा का सवाल

सत्य के जो प्रयोग आपने किए थे, ‘राष्ट्रपिता’ जिसमें शामिल थे आपके कामुक-प्रयोग भी जिसके लिए आपने ली थी सहायता अपनी सेविका स्त्रियों की मैं सहमत नहीं हूँ उनसे ! घृणित हैं वे कामुक-प्रयोग ! और आपका समाज के सामने मुझे ‘बा’ कहना— ‘बा’ अर्थात् ‘माँ’ ! अपनी इस ‘महानता’ को खूब प्रचारित किया आपने और महान बन गए, सबकी नज़रों में ! सबने श्रद्धा से कहा—- ‘बापू’ कितने महान हैं, पत्नी को भी ‘माँ’…

निबंध

हमें फ़टी जींस नहीं तन ढँकने का अधिकार चाहिए

घटना 19 सदी के त्रावणकोर (केरल) के हिन्दू रियासत की है | वहाँ की रानी अत्तिंगल की एक दासी एक दिन अपने शरीर के ऊपरी भाग, यानी स्तनों को ढँककर महल में अपना काम करने गई | रानी ने जब देखा कि उसकी अदना-सी दासी ने उच्च-वर्णीय समाज के बनाए नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने स्तनों को ढँककर रखा है तो रानी अत्तिंगल के क्रोध की सीमा न रही और उसने राजकर्मचारियों को उस…

कथा

जूते-जूतियों की संतानें

- “वो औरत ही अच्छी होती है, आंटी, जो मर्द के पैरों की जूती बनकर रहे |” रामलाल गुप्ता ने तो यह बात अपनी मकान-मालकिन से कही, लेकिन उसका लक्ष्य वहीँ बैठी किरण थी, जो उसी मकान में दूसरी मंज़िल पर बतौर किरायेदार रहती थी | - “.............” मकान मालकिन ने कुछ नहीं कहा, किरण ने भी जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया, कौन इस मूर्ख-अहंकारी के मुँह लगे - “अरे आंटी, तू सुन रही है ना !…

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