बतकही

बातें कही-अनकही…

कथा

मेरी स्वानुभूति तेरी स्वानुभूति

-- “आप हमारे साथ खाना नहीं खा सकते, मुखिया जी” अध्यापक ने कहा -- “क्यों .......???” मुखिया जी ने हैरानी से पूछा   -- “यदि आप हमारे साथ खाएँगे, तो हम खाना नहीं खाएँगे, क्योंकि यह हमारा अपमान होगा | आप हमारे साथ नहीं खा सकते ......!” अध्यापक ने दृढ़ता से कहा   -- “..................” मुखिया जी का चेहरा फ़क्क पड़ गया | उनसे कोई उत्तर देते नहीं बन रहा था | अपमान और तिरस्कार…

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