बतकही

बातें कही-अनकही…

कथेतर

महेशानंद : सम्पूर्ण समाज का ‘शिक्षक’

भाग-दो— 'शिक्षक' बनने की प्रक्रिया में एक शिक्षक का संघर्ष...! यदि किसी माता-पिता को अपनी ऐसी किसी संतान, जिसपर उनकी सभी भावनाएँ, समस्त सपने और उनका भविष्य भी टिका हो, जिसका उन्होंने बड़े ही जतन से अपने मन और अपनी भावनाओं की पूरी ताक़त लगाकर पालन-पोषण किया हो, उसके लिए अपनी सारी उम्र लगाईं हो; उसी संतान के बड़े हो जाने के बाद अचानक उसे ‘किसी’ के द्वारा ‘मृत’ घोषित कर दिया जाए, और उस…

कथेतर

‘गाइड’ प्रदीप रावत

एक अध्यापक जो अपने विद्यार्थियों के लिए ‘गाइड’ है भाग-एक ‘मैं अध्यापक नहीं, अपने विद्यार्थियों के लिए केवल एक ‘गाइड’ हूँ...’ ‘गाइड’...! यह ‘गाइड’ नामक जीव क्या होता है? यह कोई मनुष्य होता है या कोई दूसरा जीव-अजीव? अथवा क्या ‘गाइड’ केवल कोई व्यक्ति ही होता है या मनुष्य से इतर कोई और भी यह भूमिका निभा सकता है या निभाता हुआ मिलता है? कोई गाइड क्या काम करता है या उसका क्या काम होता…

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