बतकही

बातें कही-अनकही…

निबंध

भूख और भोजन

‘भूख’ क्या है ? ‘भूख’ तो केवल ‘भूख’ है किसी भी व्यक्ति को, परिवार, समाज, नस्लों, पीढ़ियों को भूखा रखकर करवाया जा सकता है उनसे कोई भी काम असंभव जो नहीं कर सकते, खाए-पिए-अघाए लोग — चोरी झपटमारी हत्या बलात्कार...! क्योंकि भूखा इन्सान ‘इन्सान’ नहीं होता है वह केवल होता है— ‘भूख’ — ‘साक्षात् भूख’ एक धधकती आग जिसमें भस्म हो जाती है नैतिकता ईमानदारी प्रेम इंसानियत समझदारी बुद्धि ह्रदय तन और मन भी... (स्व-रचित…

कथेतर

विनय शाह : लोकतान्त्रिक प्रयोगों का अध्यापक

भाग-एक : लोकतान्त्रिक शिक्षक की विकास-यात्रा यदि कक्षा में अपने अभिनव प्रयोगों एवं लोकतान्त्रिक तरीक़ों के माध्यम से कक्षा के प्रत्येक बच्चे को पढ़ने-लिखने से जोड़ना हो, कक्षा के शरारती बच्चों को कक्षा में बाधक बनने से बचाकर उन्हें एक ज़िम्मेदार एवं समझदार विद्यार्थी बनाना हो, विशेष वर्गों या समाजों के बच्चों की समस्याओं के प्रति पूरी कक्षा को संवेदनशील बनाना हो, विपरीत जेंडर के विद्यार्थियों, अर्थात् बालिकाओं की दैहिक एवं सामाजिक समस्याओं के प्रति…

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