बतकही

बातें कही-अनकही…

शोध/समीक्षा

1857 का विद्रोह : ‘रोटी’ और ‘कमल’ ही सन्देशवाहक क्यों बने?

1857 के विद्रोह को ज्योतिबा फुले ‘चपाती विद्रोह’ कहते हैं, सवाल है कि क्यों? दरअसल ब्राह्मणों ने अपने गुप्त संदेश गाँव-गाँव पहुँचाने के लिए कमल के फ़ूल के साथ-साथ चपाती/रोटी का प्रयोग किया था | उस ‘चपाती विद्रोह’ के प्रमुखतम सूत्रधार छुपे रूप में ब्राह्मण पेशवा नाना साहेब के नेतृत्व में समस्त ब्राह्मण ही थे1, जिन्होंने मुगलों के कंधों पर रखकर बंदूक चलाई थी— मौक़ा पाते ही “मराठा सरदार (मराठा नहीं, बल्कि मराठों के प्रधानमंत्री,…

शोध/समीक्षा

1857 की क्रांति: कितना स्वाधीनता-संग्राम, कितना ब्राह्मण-वर्चस्व का षड्यंत्र?

भारतीय ‘स्वाधीनता संग्राम’ के इतिहास में 1857 के विद्रोह को स्वाधीनता के लिए ‘महान विद्रोह’ के रूप में याद किया जाता है | लेकिन क्या वाकई में वह अंग्रेज़ों से ‘देश’ की मुक्ति के लिए छेड़ा गया ‘स्वाधीनता संग्राम’ था, अथवा वह एक वर्ग-विशेष, ब्राह्मण-वर्ग, के भारतीय समाज, संस्कृति, राजनीति और आर्थिक-तंत्र पर पुनः कब्ज़े के लिए छेड़ा गया हिंसक अभियान था, जिसमें जनता को मूर्ख बनाकर उसकी भावनाओं का नकारात्मक-दोहन करते हुए उसे शामिल…

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