बतकही

बातें कही-अनकही…

कविता

भूख-एक

वह पूछ रहा था सबसे भीड़ में खड़ा— ‘संसार की सबसे बड़ी समस्या क्या है?’ ‘साम्प्रदायिकता’ एक ने कहा, उभरता हुआ नेता था वह ‘बेरोज़गारी’ दूसरे का स्वर था, हाथ में फ़ाइल थामे एक युवक ‘ग़रीबी’—तीसरा बोला, एक रिक्शाचालक ‘प्रेम’ चौथा भी बोल पड़ा, जो शायद दिल टूटा प्रेमी था तभी भीड़ में से एक अस्फुट-सी आवाज़ आई, बहुत धीमी— ‘भूख !’ सबकी आँखें मुड़ गईं उस आवाज़ की ओर— वह साक्षात् वहाँ एक बालक…

निबंध

जींस पहनती बेटियाँ माता-पिता को अच्छी नहीं लगतीं !

दुनिया के किसी भी हिस्से के पारंपरिक पितृसत्तात्मक समाज में हर माता-पिता की यह बड़ी गहरी लालसा होती है, ख़ासकर पिता की, कि उनका बेटा आज्ञाकारी और कमाऊ हो, जो श्रवणकुमार की तरह उनकी सेवा करे; और उनकी बेटी संस्कारशील, सुशील, मृदुभाषी, आज्ञाकारी, चरित्रवती हो, जो समाज एवं ख़ानदान में अपने अच्छे व्यवहारों, पवित्र चरित्र एवं सुशील आचरण से उनका सम्मान बढ़ाए | वे चाहते हैं कि उनकी बेटियाँ इतनी ‘संस्कारशील’ और ‘आज्ञाकारी’ हों कि…

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